वंदना
हे कृपानिधान ; करुणा की खान ,
तुझमे है अद्भुत ; शक्ति -ज्ञान |
तुझसे ही चलता ; ये सरसती -यान ,
तुझमे ही समाहित ; विश्व -महान ||
सूर्य बन ; इस वसुंधरा को ,
करता तू ही ; देदीप्यमान |
मेघ बन ; निज कालिमा से ,
ढक लेता ; तू ही आसमान ||
दया ,क्षमा ; करुणा ; के सागर,
तू है अपरमित ; गुणों की खान |
मै अनुरागी ; विवेकहीन नर,
कैसे करू ; तेरा बखान||
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हो हमारी ; अनुरक्ति तुझमे ,
करू मै ; तेरा ही गुणगान |
ऐसी मुझको ; शक्ति दे प्रभु ,
जपु सदा ; तेरा ही नाम ||
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