बुधवार, 13 अप्रैल 2011

Bhool na paaun



भूल  न  पाऊं

भूल  न  पाऊं  तेरे होठ 

भूल  न  पाऊं  तेरी  सूरत 

बस  गए  ऐसे  दिल   में  मेरे 

जैसे  मंदिर  में   मूरत 

ये  जो  तुम्हारी खामोशी 

आँखों  में छाई  मदहोशी 

जाने  क्यूँ  मुझे तड़पाती  है 

कुछ  खोने  को  उकसाती   है 

बरबस  ही 

पास  बुलाती  है 
..........................

14 टिप्‍पणियां:

जीवन का उद्देश ने कहा…

इसी तरह आपनी सुन्दर प्रयासों से हिंदी साहित्य को सुसज्जीत करती रहें, आप की मेहनत रंग लाऐगी.। बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें,

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

सुंदर भाव हैं,कवितायन जारी रहे।

आभार

केवल राम ने कहा…

बहुत सुंदर भावनात्मक प्रस्तुति के लिए आपका आभार ....आशा है आप अपने लेखन से ब्लॉग जगत को समृद्ध करेंगे ....हार्दिक शुभकामनायें

केवल राम ने कहा…

इस भावनात्मक रचना के लिए आपको बधाई .....अब अगली रचना का इन्तजार है ....आपका शुक्रिया

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुंदर भावनात्मक प्रस्तुति

daanish ने कहा…

मन की रूमानी भावनाओं
को खूबसूरत शब्दों में पिरोया है
अच्छी रचना !!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति ... मान के भाव को शब्द देना सुखद होता है ...

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

खूबसूरत कविता लिखती हैं आप.. अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर...

केवल राम ने कहा…

सुशीला जी
अगली रचना डालिए शीघ्र ही ..अपनी रचनात्मकता को निरंतरता प्रदान कीजिये ....शुभकामनाओं सहित

बी.एस.गुर्जर ने कहा…

Bahut sundar....sushila jee..
..सुन्दर सरल सहज प्रिये रचना .....

vijay kumar sappatti ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता .. प्रेम रस में भीगी हुई .. बहुत अच्छी लगी .. दिल से बधाई

आभार
विजय

कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

संजय भास्‍कर ने कहा…

आज दुबारा पढी कविता, और फिर जी चाहा कि कमेंट लिखूं। लेकिन क्‍या लिखूं, यह समझ नहीं आ रहा। बस इतना कहूंगा कि मन को छू गये भाव।

amrendra "amar" ने कहा…

waah behtreen rachna .....khubsurat bhavo ke saath ......umda prastuti badhai ...........

Prince Ajay ने कहा…

dil Ko Chhoo gayi Mam aapki kavita..
बहुत सुन्दर कविता .. प्रेम रस में भीगी हुई .. बहुत अच्छी लगी .. दिल से बधाई !!