एक अहसास हो तुम
मेरी प्यास हो तुम
न पाउंगी तुमको
ये जानती हूँ
फिर भी अपना
क्यूँ मानती हूँ?
जिधर देखती हूँ
उधर तुम ही तुम हो
पकड़ना जो चाँहू
हो जाते हो
क्यूँ गम हो ?
कैसे बताऊ ?
है प्यार कितना
सागर में पानी
होगा न उतना
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