किसने जलाया ऐसा हवन
जिसमे जले सिर्फ नारी का तन,
जिससे मिले न कभी भी अमन ||
दहेज़ के नाम पर, बोलो अभी तक,
तुमने दिया किस -किस को कफ़न |
कौन मिटेगा, कौन हटाएगा,
बताओ मुझे क्या है, इसका जतन?
धूँ - धूँ के स्वाहा हो जाएगा,
एक दिन ये अपना ,सारा चमन |
करते रहो मन, बेटी बहुओं को
ऐसे ही जमीं पे दफ़न | |
पर बुझाओगे फिर, किससे अपनी तपन,
लूटोगे फिर किस पे, अपना ये धन ?
पुकारोगे फिर किसको, अपनी बहन,
जब सूना ही कर दोगे, सारा चमन ??
....................