किसने जलाया ऐसा हवन
जिसमे जले सिर्फ नारी का तन,
जिससे मिले न कभी भी अमन ||
दहेज़ के नाम पर, बोलो अभी तक,
तुमने दिया किस -किस को कफ़न |
कौन मिटेगा, कौन हटाएगा,
बताओ मुझे क्या है, इसका जतन?
धूँ - धूँ के स्वाहा हो जाएगा,
एक दिन ये अपना ,सारा चमन |
करते रहो मन, बेटी बहुओं को
ऐसे ही जमीं पे दफ़न | |
पर बुझाओगे फिर, किससे अपनी तपन,
लूटोगे फिर किस पे, अपना ये धन ?
पुकारोगे फिर किसको, अपनी बहन,
जब सूना ही कर दोगे, सारा चमन ??
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पर बुझाओगे फिर, किससे अपनी तपन,
लुटाओगे फिर किस पे, अपना ये धन ?
पुकारोगे फिर किसको, अपनी बहन,
जब सूना ही कर दोगे, सारा चमन??
समसामयिक एवं सार्थक सन्देश के साथ मार्मिक प्रस्तुति - फिर पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत
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