बुधवार, 2 मार्च 2011

सिर्फ तुम

Alvin + Janice
तमाम  ख्याल आते है

उनमे सिर्फ तुम ही 

नज़र आते हो  

खुद  की   परछाई  में   भी   

अब  तुम ही  

बार-बार आते हो 

जब उदास हो 

बैठ जाती हूँ 

घर के किसी कोने में 

तो 

भ्रमर बन तुम ही 

पास  आके 

गीत गुनगुनाते हो 

तुम  ही  हँसाते  हो 

तुम  ही  रुलाते हो 

उफ़! ये  कैसा रि श्ता है ?

क्यूँ  नहीं  तुम  मेरे   

हमसफ़र  बन  जाते  हो?


1 टिप्पणी:

जीवन का उद्देश ने कहा…

लिखने में और प्रयास करती रहिये। दिन ब दिन उन्नती आप की कदम चुमेगी। बहुत धन्यवाद,