रविवार, 6 मार्च 2011

तुम बिन जिउं कैसे ?

तुम्ही   मेरी  पूजा 

तुम्ही  मेरी  भक्ति  

तुम्ही  मेरी  सांसे  

तुम्ही   मेरी  शक्ति 

तुम   बिन  जिउं  कैसे ?

ये  तो  बताओ 

यूँ  दूर  जाके 

न  मुझको  सताओ 

अपना  बनके 

 कहाँ      चल  दिए 

मुझको  भुला  के  

क्यूँ  चल  किये 

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1 टिप्पणी:

जीवन का उद्देश ने कहा…

besh qimat hoti hain motiya ghisne ke bad,
sundar horahi hain geeten prayaso ke bad