मंगलवार, 15 मार्च 2011

.तू मुस्कुराना छोड़ दे



बहुत  कमजोर  हूँ  मैं 

तू  मुस्कुराना  छोड़  दे 


मेरे  घावों  में  तू  अब


मरहम  लगाना  छोड़  दे ||




निगाहें  कातिल  हैं  तेरी


आँखे  मिलाना  छोड़   दे |


जीना  न   मुश्किल  हो  जाए


ये  अदाएं  छोड़  दे ||




बेबस  हूँ  मैं ,लाचार   हूँ


यूँ  दिल  का  लगाना  छोड़  दे 


न  बन  जाए   ये  अफसाना


कसमे -वादे  तोड़   दे ||




प्यार ,मुहब्बत ,चाहत


लफ्जों  को  दुहराना  छोड़    दे |


ऐ  महबूब  मेरे , दिलवर  मेरे


तन्हाई   ,रुसवाई   से  रिश्ता  जोड़  ले ||


            ............................
.





6 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

"बहुत कमजोर हूँ मैं
तू मुस्कुराना छोड़ दे"

बहुत खूब

Dr.Sushila Gupta ने कहा…

hi Rakeshji,thanks .....gar aap yun h

mera utsaah badhate rahe to aur nikharkar aap pathakon ko kuch naya padhane ka awasar de sakungee.......thanks again.

संजय भास्‍कर ने कहा…

कोमल भावों से सजी ..
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

जीवन का उद्देश ने कहा…

बहुत सुन्दर लेख

Unknown ने कहा…

▬● बहुत खूबसूरती से लिखा है आपने... शुभकामनायें...

दोस्त अगर समय मिले तो मेरी पोस्ट पर भ्रमन्तु हो जाइयेगा...
Meri Lekhani, Mere Vichar..
http://jogendrasingh.blogspot.com/2012/01/blog-post_23.html
.

kalp verma ने कहा…

bahut khub....